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India's Most Wanted (Photo Courtesy: The Guardian) -
एक खबर - अंडा सेल में 'घुटन' महसूस कर रहे संजय दत्त - Zee New
सबको पता है जेल में रिफ्रेशमेंट या तरोताजा होने के लिए नहीं भेजा जाता है। दूसरी और टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के अनुसार महेश भट्ट कहता है कि वो चिंतित था कि "संजय दत्त उस बर्बर माहौल का सामना कैसे करेगा? जिसमें वो जा रहा है"!!!
हैरत की बात है की इनमें से किसी को निर्दोषों के मारे जाने या सामाजिक सुरक्षा के प्रति जवाबदेही का ख़याल तक नहीं आता। ध्यान रहे संजय दत्त आतंकी वारदात के प्लान का एक हिस्सा था और आतंकियों का साथी। आतंकी वारदात के सालों बाद तक वो देश से भाग चुके आतंकियों के साथ गलबहियां कर रहा था। इसलिए संजय दत्त कोई सामान्य नागरिक नहीं वह आतंकी ही है।
अब खबरों पर और सहानुभूतियों पर लौटते हैं क्या ये मिडिया का गिरा हुआ मानसिक स्तर है? जो वो एक खतरनाक अपराधी को जेल में हो रही घुटन के बारे में आपको परोस रहा है !! या फिर एक आतंकी के हिमायतियों (भट्ट) की चिंताएं आप तक चाशनी में लपेट कर पहुंचा रहा है!!
जी नहीं!! ये इनका गिरा हुआ मानसिक स्तर नहीं है, ये है इनकी प्रतिबद्धताएं जो की भारत के विरुद्ध हैं, आम भारतीय जन के विरुद्ध हैं, भारत के सिस्टम के विरुद्ध हैं। इस विष वमन के बावजूद हमारे पास ऐसा सिस्टम नहीं है जो ऐसे मिडिया हाउसेज पर ताला लटकाये और आतंकियों के ऐसे हिमायतियों को जेल भेजे।
इसीलिये आतंकी हमले जारी हैं, देश को अन्दर से तोडने, मॉस ब्रेनवाश की कोशिशें जारी हैं, और इन सबके साथ जारी है सिस्टम का और भ्रष्ट और और ज्यादा नाकारा होना ...
तो अब एक सीधा सा सवाल उठता है कि आतंकियों के हिमायतियों को हम क्यों झेलें?
सबको पता है जेल में रिफ्रेशमेंट या तरोताजा होने के लिए नहीं भेजा जाता है। दूसरी और टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के अनुसार महेश भट्ट कहता है कि वो चिंतित था कि "संजय दत्त उस बर्बर माहौल का सामना कैसे करेगा? जिसमें वो जा रहा है"!!!
हाँ आतंकी ऐसे भी होते हैं ! एक किस्म वाले बम विस्फ़ोट और अन्य आपराधिक साजिशों में शामिल है और दुसरे
किस्म वाले बौद्धिक आतंक में ... आतंकियों के कुकर्मों की लीपापोती में,
उनके पक्ष में माहौल बनाने में!
हैरत की बात है की इनमें से किसी को निर्दोषों के मारे जाने या सामाजिक सुरक्षा के प्रति जवाबदेही का ख़याल तक नहीं आता। ध्यान रहे संजय दत्त आतंकी वारदात के प्लान का एक हिस्सा था और आतंकियों का साथी। आतंकी वारदात के सालों बाद तक वो देश से भाग चुके आतंकियों के साथ गलबहियां कर रहा था। इसलिए संजय दत्त कोई सामान्य नागरिक नहीं वह आतंकी ही है।
अब खबरों पर और सहानुभूतियों पर लौटते हैं क्या ये मिडिया का गिरा हुआ मानसिक स्तर है? जो वो एक खतरनाक अपराधी को जेल में हो रही घुटन के बारे में आपको परोस रहा है !! या फिर एक आतंकी के हिमायतियों (भट्ट) की चिंताएं आप तक चाशनी में लपेट कर पहुंचा रहा है!!
जी नहीं!! ये इनका गिरा हुआ मानसिक स्तर नहीं है, ये है इनकी प्रतिबद्धताएं जो की भारत के विरुद्ध हैं, आम भारतीय जन के विरुद्ध हैं, भारत के सिस्टम के विरुद्ध हैं। इस विष वमन के बावजूद हमारे पास ऐसा सिस्टम नहीं है जो ऐसे मिडिया हाउसेज पर ताला लटकाये और आतंकियों के ऐसे हिमायतियों को जेल भेजे।
इसीलिये आतंकी हमले जारी हैं, देश को अन्दर से तोडने, मॉस ब्रेनवाश की कोशिशें जारी हैं, और इन सबके साथ जारी है सिस्टम का और भ्रष्ट और और ज्यादा नाकारा होना ...
तो अब एक सीधा सा सवाल उठता है कि आतंकियों के हिमायतियों को हम क्यों झेलें?
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